हवाई जहाज के सफर को सबसे सेफ, तेज और शानदार माना जाता है. आमतौर पर सभी लोग प्लेन से लंबी दूरी का सफर तय करते हैं. प्लेन में सफर करना जितना मजेदार है उतना ही खतरनाक भी…. दरअसल, न्यूयॉर्क में एक घटना ऐसी हुई जिसने प्लेन में सफर करने वालों की नींद उड़ा दी. दोस्तों, प्लेन पर हवाई हमला हो गया था. चौंकाने वाली बात तो यह थी कि हमला किसी देश या फाइटर प्लेन ने नहीं बल्कि पक्षियों ने किया था. जी हां, प्लेन पर पक्षियों ने हमला किया और उसके दोनों इंजन खराब कर दिए, जिससे प्लेन क्रैश होने तक की नौबत आ गई थी. हालांकि दोस्तों, प्लेन के कैप्टन के अनुभव और सूझबूझ से हवाई जहाज में सवार 150 यात्रियों की जान बच गई. चलिए दोस्तों, आपको बताते हैं कि आखिर 10 मिनट में कैसे एक प्लेन आग का गोला बन गया और कैसे सभी यात्रियों की जान बचाई जा सकी.
दोस्तों, घटना 15 जनवरी 2009 की है. 5 से 10℃ के तापमान में न्यूयॉर्क ठंड का आनंद ले रहा था. एयरपोर्ट पर प्लेन Airbus A320 अपनी 3:24 मिनट की उड़ान भरने के लिए तैयार था. इस प्लेन को चेलसी स्लेनबर्ग और जेफरी उड़ाने वाले थे. दोनों ही पायलट काफी अनुभवी थे. स्लेनबर्ग को उस समय तक 19663 घंटे फ्लाइट उड़ाने का अनुभव था तो जेफरी को उस समय तक15683 घंटे तक फ्लाइट उड़ाई थी. प्लेन ने 3:24 मिनट पर उड़ान भरी. हवाई जहाज का कंट्रोल जेफ्री के हाथ में था. 3:26 पर प्लेन हडसन नदी के ऊपर से गुजर रहा था. सब कुछ सामान्य लग रहा था. प्लेन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा था. तभी अचानक प्लेन के चारों तरफ कनाडा गीज नाम के पक्षी आ गए. पक्षियों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि दोनों पायलट को प्लेन की विंड स्क्रीन पर सिर्फ बड़े पक्षी नजर आ रहे थे. तेज हवा के कारण कुछ पक्षी प्लेन के सामने उड़ते हुए इंजन में चले गए. जिससे प्लेन के दोनों इंजन जाम हो गए. प्लेन की रफ्तार धीमी होने लगी. पायलट ने इंजन को दोबारा शुरू करने की कोशिश की तो प्लेन के साइट विंग पर इंजन वाले सेक्शन में धमाका हो गया और विंग पर आग लग गई. पायलट को तब तक धमाके का पता नहीं चला था. जब हवाई जहाज के फ्यूल की महक आने लगी तब पायलट को पता चला की प्लेन के हालत ठीक नहीं है.
दोस्तों, जेफरी प्लेन को दोबारा स्टार्ट करने में लगे हुए थे. प्लेन काफी तेजी से नीचे गिर रहा था. कैप्टन स्लेनबर्ग ने तुरंत प्लेन की कमान संभाली और लागार्डिया एयरपोर्ट पर उतरने की कंट्रोल रूम से परमीशन मांगी. लागार्डिया एयरपोर्ट के रनवे नंबर 13 को खाली करा दिया. लेकिन फिर स्लेनबर्ग ने प्लेन की हालात और 7 किलोमीटर की दूरी को देखते हुए न्यूजर्सी एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग की परमीशन मांगी. न्यूजर्सी एयरपोर्ट को भी खाली करा दिया गया. लेकिन एक बार फिर स्लेनबर्ग ने प्लेन की खराब हालात को देखते हुए एयरपोर्ट पर प्लेन को उतारने से मना कर दिया. उन्होंने प्लेन को हडसन नदी में ही उतारने का फैसला लिया. कंट्रोल से तालमेल कर प्लेन को हडसन नदी में उतारने और वहां पर यात्रियों के कोस्ट गार्ड और सुरक्षा टीम की डिमांड की. इसी के साथ स्लेनबर्ग ने बिना देरी किए हुए प्लेन को हडसन नदी में उतार दिया. सभी यात्रियों को कोस्ट गार्ड और क्रू मेंबर्र की मदद से प्लेन से बाहर निकाला और इस तरह से अपनी सूझबूझ से सभी यात्रियों की जान बचा ली. हालांकि 6-7 यात्रियों को गंभीर चोटे आईं लेकिन किसी भी यात्री की जान नहीं गई. हादसे के रिसर्च में पाया गया कि अगर स्लेनबर्ग कोई भी फैसला लेने में 35 सेकेंड की देरी कर देते तो यात्रियों के साथ न्यूयॉर्क शहर का भी काफी नुकसान होता. दोस्तों, इस घटना को मिरेकल ऑन द हडसन के नाम से जाना जाता है.